14 वें हिमालय दिवस हिमालय और आपदा थीम पर मनाया
14 वें हिमालय दिवस हिमालय और आपदा थीम पर मनाया जा रहा है। इसके उपलक्ष्य में मंगल भूमि फॉउंडेशन और हिमालय पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन द्वारा “दांव पर हिमालय का अस्तित्व: आपदाओं और विकास पर एक परिचर्चा” विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर पद्म श्री व पद्मभूषण से सम्मानित प्रख्यात पर्यावरणविद व हिमालय पुत्र डॉ० अनिल प्रकाश जोशी जी रहें।
उन्होंने पर्यवारण के क्षेत्र में हिमालय से जुड़े अपने अनुभवों को साझा करते हुए हिमालय के पर्यावरणीय विनाश के लिए वर्तमान विकास और लालच को दोषी ठहराया और हिमालय में आने वाली आपदाओं के महत्वपूर्ण बिंदुओं की ओर इशारा करते हुए अपनी बात रखी। जोशी जी ने अपने वक्तव्य में महत्वपूर्ण वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं, भौतिक विकास एवं जलवायु परिवर्तन, मानव निर्मित आपदाएं, हिमालय प्रदेश की वर्तमान दशायें और भविष्य की दिशा, हिमालय की प्राकृतिक भौगोलिक, धार्मिक – सांस्कृतिक महत्व, हिमालय की समस्याएं, संरचनात्मक व प्रकार्यात्मक मॉडल, लोगों के विलासितापूर्ण जीवन से उत्पन्न दुष्प्रभाव हिमालय में वास करने वालों लोगों के सामाजिक जीवन पर पड़ रहा है। उन्होंने हिमालय संरक्षण के लिए युवाओं की जन सहभागिता एवं जागरूकता को रेखांकित किया।
विश्व की तीन सबसे बड़ी और एग्रेसिव अर्थव्यवस्था में अमरीका, चीन और भारत का योगदान है इसलिए भारत और चीन की हिमालय आधारित अर्थब्यवस्था स्थानीय पारिस्थितिकी को नष्ट करता जा रहा है। इसके लिए हम विकास की योजनाओं को दोषी ठहरा सकते हैं।धरती पर बढ़ते तापमान का सीधा असर हिमालय के जलवायु परिवर्तन पर पड़ता जा रहा है। इस बार हिमाचल में आई आपदा और इससे पूर्व में आई आपदाएं बदलते वैश्विक जलवायु परिवर्तन ने हिमालय के तामक्रम में बड़ा बदलाव लाया है। हिमालय का सबसे अधिक लाभ लेने वाले लोग स्थानीय नहीं बल्कि पूरे भारतीय उप महाद्वीप की जनसंख्या सामिल है।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे रामबाबू तिवारी ने कहा कि यह ऑनलाइन कार्यक्रम के तहत वर्तमान में दरक रहे हिमालय के संरक्षण संवर्धन में हम जमीन के लोगों को आगे आना होगा नहीं तो निश्चित रूप से पृथ्वी में प्रलय आने वाला है हिमालय के संरक्षण संवर्धन में युवाओं की भूमिका अहम हो सकती है। इसके संरक्षण समर्थन हेतु अपने घर से शुरुआत करनी होगी हमें भौतिक पारक वस्तुओं का प्रयोग कम करना होगा। आवश्यकता परक वस्तुओं का ही प्रयोग करें। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना होगा युवाओं को चलो गांव की ओर नारा के साथ गांव की समृद्धि और खुशहाली की ओर जाना होगा हमें प्रकृति केंद्रित विकास की ओर बढ़ना होगा।
कार्यक्रम की रूपरेखा एवं कार्यक्रम के महत्व के बारे में डॉ हरिशंकर जी ने प्रस्तुत किया।
डॉ सुभाष कुमार ने कहा कि पर्यावरण आज विश्व का सबसे बड़ा मुद्दा है जिस प्रकार जलवायु परिवर्तन बढ़ रही है इस जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने हेतु हमें प्रकृति के साथ जुड़ना होगा प्रकृति का सम्मान करना होगा।
कार्यक्रम में पूर्वांचल विश्विद्यालय के सहायक आचार्य अनिल कुमार जी ने कार्यक्रम का सार पेश करते हुए जोशी जी के महत्वपूर्ण बिंदुओं को इंगित किया और कार्यक्रम की समाप्ति पर प्रयागराज अवस्थित जी.बी. पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान की प्राध्यापिका डॉ० रेवा सिंह जी द्वारा धन्यवाद व्यापित किया गया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ अंकित सिंह, डॉ अमित भूषण,संदीप झा,अरुण तिवारी,पंकज यादव, अवनीश,सौरभ, सुमंकर,अंकित,चंदन,रजनीश,आदि लोग जुड़े रहे।